saheb-ne-farmaya

Homesaheb-ne-farmaya

1. तुम इस बात को ध्यान में रखना कि तुम्हारा आदमी की नस्ल से होना ही काफ़ी है कि तुम्हें उस आसमान वाले तक पहुंचने की राह दे दी जाए इसलिए कि हर पैदा होने वाले के साथ आसमान तक जाने वाली सीढ़ी मौजूद रहती है ।शर्त सिर्फ़ इतना है कि तबियत का रुझान उस आसमान वाले को पाने का और कोशिश गहरी लगन के साथ जुड़ी रहे और जो न्यामतें बख़्शी
जाएं उनका शुक्र अदा करना जानता हो।अगर तुमने सही रास्ते पर रहकर यानी दूसरों का दिल न दुखाकर, हर साथ जीने वाली मख़्लूक चाहे वो जिस रंग जाति या मज़हब की हो उसे अपना समझकर बर्ताव रखा तो तुम्हारी तरफ़ आसमानी न्यामतें उतारी जाएंगीं और अगर तुमने अपने को इस राह के अलावा दूसरी तरफ देखने वाला बनाया यानी मज़हबपरस्तों की राह अपनाई जो
बातिनी न्यामतों से महरूम रहते हैं तो यकीन जानो कि तुम जितना कुछ पा चुके होगे तुमसे वापस ले लिया जाएगा।
3. वो रूहानी इल्म उस मजबूत क़िले की तरह है जिसके अंदर दाखिल हो जाने के बाद इस दुनिया में मौजूद किसी तरह की धूप-छाँव से नहीं गुज़रना पड़ता, खौफ़ दिलाने वाले घटाव के झटकों से छुटकारा मिल जाता है।आखिर कब तक सूरत परस्त रहकर इस बेजान ज़िंदगी से अपने को जोड़े रखोगे ।अगर तुम इसी तरह बेरूह ज़िंदगी जीते रहे तो कभी इस क़ैद से छुटकारा न पा सकोगे। इस दुनिया की ज़िंदगी के तौर-तरीकों के मुताबिक जीने की जो समझ तुम्हें मिली है उसने तुम्हें इस लायक नहीं रहने दिया कि तुम इन बातिनी ज़िंदगी की बातों को सुनकर उन्हें बरतने के लायक बन सको । रुक कर ध्यान देकर हमारी बातें सुनो — ऐसे रहबर मिल जाएं तो उनसे अपने को जोड़ कर खुद को बातिनी समझ रखने वाला बना लेना ।
5. अलग अलग जिंस इस दुनिया में मिलती हैं, जो जैसा जुज़ (अंश) रखता होगा उसी अंदाज़ से अपने कुल (ब्रह्म यानी सम्पूर्ण) की तरफ़ बढ़ेगा। जैसे गौर करो बुलबुल को फूल के चेहरे से इश्क़ है जो और परिंदो को नहीं हासिल है। बुलबुल का ध्यान हमेशा फूल के चेहरे से जुड़ा रहता है और किसी भी लम्हा उस तरफ से उसका ध्यान नहीं हटता चाहे जिस तरह का हंगामा उसके इर्द-गिर्द क्यों न हो, इसी को इश्क़ कहते हैं । इसी के साथ इस बात को भी ध्यान में रखना कि अगर आदमी जानवर सिफ़त होगा यानी ज़मीन पर बैल की तरह मेहनत मशक्कत में दिन रात फंसकर ज़िंदगी गुजारने वाला हो तो उसके बातिन में इस जौहर के होने का सवाल ही नहीं पैदा होता, उसका हर रंग खाल के ऊपर तक ही होगा ।
7. वो दिल बहुत मुबारक है जिसे रूह से जुड़ा हुआ इश्क़ हासिल हुआ जो हिज्र की आग में जला भुना और वो आंख इस ज़मीन पर बहुत मुबारक है जिसे इश्क़ के दिए हुए ग़म में रोना आया ।ऐसी ज़िंदगी रखने वालों के हिस्से में हमेशा क़ायम रहने वाली हंसी ख़ुशी आई और ये न्यामतें उन्हीँ को हासिल हुईं जिन्होंने हर काम करने से पहले रूहानी दुनिया में उसके क़ुबूल और
नाक़ुबूल होने पर ग़ौर किया । इश्क़ में आंखों से बहते हुए आंसुओं के ज़रिए आसमानी रहमत उतरती है । मेरी ताक़ीद है कि कभी भी दिल को सख़्त न होने देना, ताकि तुम्हारे रूह के आंगन में हरियाली उगे।

9. ए दुनिया परस्त आदमी अपनी एक बुरी आदत यानी हर वक़्त हर बात पर एतराज़ करना छोड़ दे और अपने साथ जीने वालों का शुक्रिया अदा करने की आदत डाल ले। इसी के साथ साथ जिसने तुझे पैदा किया और ज़मीन पर भेजा उसका शुक्र अदा करना हर वक़्त और हर लम्हा तौक की तरह गरदन में डाल ले। सिरका, सिरका ही रहता है कभी शिकंजबीन नहीं बनता, उसे
शिकंजबीन बनाने के लिए उसमें शकर मिलानी पड़ती है तब वो जिगर में उतरने का रास्ता पाता है । अपने साथ जीने वालों से झगड़ा करने और मुंह बिगाड़ने की आदत छोड़ दो। 11. आसमानी नूर (Divine light) वो चीज़ है जो कभी इस बदन की शिक़स्तगी के बग़ैर नहीं मिलती
यानी जब ख़्याल अपने जिस्म से ग़ायब हो जाए, रूह की तरफ़ बढ़ने वाला आदमी, उस दुनिया को हासिल करने की ख़्वाहिश रखने वाला आदमी, उसी को ओढ़ बिछाकर जीने वाला आदमी ,अपने जिस्म को कुछ दिनों बाद वीरान देखता है।इसीलिए कि रूह के बादशाह के घर का यही तरीक़ा है, न कि आसनों के ज़रिए पहलवानी के रास्ते जिस्म को मज़बूत से मज़बूत बनाने की
फ़िक्र में पड़कर सिर्फ़ भूतों की दुनिया के लायक़ अपने को बनाए । यहां वीरान करने से मतलब है दुनिया परस्ती से अपने को खाली कर देना । आसनों की बुराई भलाई की बात नहीं, बड़ी ग़लतफ़हमी है लोगों में कि आसन को ही योग समझ लिया, yogasnas are to keep yourself fit for yoga, yoga माने जोड़ना , वो ब्रह्म जो इकाई है हम उसका अंश हैं मक़सद है उससे जुड़ना । यही काम हम सूफ़ी बहुत मिठास और अपनेपन से करते हैं क्योंकि अपनापन होगा तो खिंचाव होगा इश्क़ होगा जभी तो जुड़ेगा। न कुछ छोड़ना है न जंगल में जाना है ।
13. तेरे ख़्यालात के घरौंदों ने तुझे ऐसा माहौल दिया, ऐसी उम्मीदें तेरी ज़िंदगी के साथ जुड़ गईं, जिनके बारे में तू खुद नहीं जानता कि उनमें से कितनी पूरी होंगी और कितनी बद्अंजाम को पहुंचेगी। इन्हीं अंधेरों ने तुझे ऐसे ज़ख़्म दिए जो उस वक़्त भर सकते थे, जब कोई साहबे बातिन पीरे कामिल उन पर मरहम रख देता। ए आदमी यक़ीन मान ले कि तू कभी इस न्यामत को
पा गया तो तेरे दर्द और आहों को सुकून आ जाएगा और दिल और दिमाग़ पर आए हुए सारे ज़ख़्म भर जाएंगे। मेरी इस बात पर दिल ओ जान से अमल करना कि ऐसे बातिन रखने वालों की बारगाह पहुंच जाने के बाद कभी भी उस तरफ़ से मुंह मत मोड़ना और थोड़ा सा आराम पा जाने के बाद ऐसे दरवाज़े को मत छोड़ना इसलिए कि ऐसी जगहें हमेशा मजबूती के साथ पकड़े रहने की चीज़ होती हैं ।
15. अक्ल की दौड़ें लगाने वाला फलसफी (philosopher) अपनी समझ से चाहे कितनी बलंद बातें करता हो, वो हमेशा इस ज़मीन पर आदमियत को नुकसान ही पहुंचाता है।दिमाग़ी दौड़ से अटकलें लगा कर जब लफ़्ज़ों की इमारतें तइयार करता है तो उन दीवारों से खुद ही अपना सर फोड़ता है और जो उसको पढ़ते हैं वो भी उन्ही दीवारों से टकराया करते हैं और सिवाय ज़ख़्मों के कुछ नहीं मिलता। इस बात को याद रखना कि इस कायनात में पानी भी बोलता है मिट्टी भी बोलती है और गारा भी बोलता है, जिसे सिर्फ़ अहले दिल ही सुन पाते हैं। ये बदबख़्त गुमराह फलसफी ऐसे आसमानी लोगों की तरफ़ अपनी जानवरों से भी गिरी हुई अक्ल का तीर जब साधते हैं तो निहायत रंज पैदा होता है, सच्चाई तो ये है कि ये आलिम फ़ाजिल गिरोह शैतान की हुकूमत में बंधी हुई उसकी रिआया है। अगर तुमने ज़मीन पर शैतान न देखे हों तो इन्हें देख लो जिनकी पेशानी पर नमाज़ के पड़े हुए नीले दाग़ दिखाई देंगे, इनके साथ खुद को और दूसरों को भी गुमराह बना देने वाला पागलपन मौजूद मिलेगा । ए ख़्वाहिशों का अम्बार रखने वाले और अपना पेट भरने के लिए इस ज़मीन पर जानवरों से भी बदतर ज़िंदगी जीने वाले मरदाने खुदा का मुकाबला न कर, दुनिया में इन बातिनी बादशाहों के आगे अपना अक्ल का घोड़ा बेकार
क्यों दौड़ाता है।

17. अपने घर में बेईमानी और बेइंसाफ़ी से ला कर एक ईंट भी अगर लगाई तो वो इस बात की ज़मानत (पुष्टि) है कि वो घर तबाह और बरबाद हो जाएगा। ( ऐसे लोग जब तक ये समझते हैं तब तक बहुत देर हो जाती है।) आप ग़ौर से अपने आसपास देखें तो साफ़ नजर आएगा। जैसे छायादार पेड़ तैयार होने में कम से 20-25 बरस लगते हैं. जो चीज़ जल्द हासिल होती है देर तक नहीं ठहरती ( जैसे फूलों के पौधे)। बहुत से काम सब्र से बनते हैं।
2. सूफ़ी गिरोह के हर बुज़ुर्ग ने ताकीद की है कि दोआ मांगते वक़्त अपने जिस्म से अलग हो कर अपने को किसी तरह से गुनहगार न समझ कर सिर्फ़ अपने रूह होने का ख़्याल करके आजिज़ी के साथ दोआ मांगना । इस सिफ़त को हासिल किए बग़ैर कभी भी एक नुक़्ते पर तुम्हारा ख़्याल जम नहीं सकता यानी मज़हबी गिरोह की तरह दुनिया की खुराफ़ातें याद करने में और मुंह बना बना कर ख़्याली ख़ुदा के सामने रोने में अपना वक़्त खराब न करना इसलिए कि जब दिमाग़ बहुत सी बातों को याद करने में लग जाता है तो फिर कभी एक मरकज़ पर जमा नहीं हो पाता ।
4. अपना दिल बहलाने , तबियत हल्की करने वाले कामों और बातों के रास्ते से अपने को मत जोड़ना वरना ये तफ़रीह हासिल करने वाला तरीका तुम्हारे अंदर बीमारियां पैदा कर देगा। फ़कीरी राह में पैर तोड़ कर बैठने वालों पर मत हंसो, तुम्हें फ़कीरी रास्ते में इस तरह बैठना अपने को ख़लवत के सुपुर्द कर देना समझ न आएगा क्योंकि तुमने अपने को बाहर की ज़िंदगी से दिल
बहलाने वाला बना रखा है । ये रेयाज़ में लगे हुए लोग एक दिन उस आसमानी कशिश के घेरे में पहुंचाकर, गिरोहे औलिया में दाखिल करके बातिनी हुकूमत करने वाले बना दिए जाते हैं।

6. मेरी हिदायत है कि किसी रूहानी तक़दीर रखने वाले से अपनी अच्छी तक़दीर बनवाने की फ़िक्र करो रूहानी दौलत रखने वाले का दामन थाम लो ताकि उनकी रूहानी अज़मत तुम्हें भी बलंदियां पाने वाला बना दें। इस बात को हमेशा याद रखना कि अगर ऐसी भली सोहबत तुम्हारे हिस्से में आई तो तुम उसे दिल ओ जान से कायम रखना। दुनिया परस्त गिरोह जो सिर्फ़ अपने जिस्म और पेट तक ही अपनी ज़िंदगी रखते हैं, ऐसों के साथ ही अगर तुमने अपने को बांधे रखा तो तुम्हारे हिस्से में भी सिवाए बदनसीबी और बदबख़्ती के कुछ न आएगा ।

8. तुमने अपने आपको जागने वाला समझ रखा है मगर तुम्हारा खुद को जागता हुआ समझना, सोई हुई हालत से भी बदतर है, इसलिए कि उस हालत में तुम कम से कम दुनिया में आने वाली आफ़तों का शिकार होने से बच जाते हो और अपनी इस हालत में जिसे तुम जागना समझते हो,तरह-तरह की मुसीबतों का शिकार होते हो। इस दुनिया में बेहतर तरीका ज़िंदगी गुज़ारने का
यही है कि ख्व़ाब देखने वाली ज़िंदगी से बाहर निकल जाए और उस ज़मीन ओ आसमान के पैदा करने वाले खुदा से जुड़ कर इस दुनिया में कैदी की तरह की ज़िंदगी गुज़ारने से छुटकारा पा जाएं ।अगर तुम्हारी रूह खुदा के साथ जुड़ने में बेदार न हुई तो तुम्हारा पूरा दिन जिस नफ़ा नुकसान और तबाह हो जाने के खौफ़ से तुम्हारी जान को रौंदे रखता है वो तुम्हें आसमान की तरफ़ के सफ़र का ख़्याल ही नहीं आने देता, ये जागता हुआ आदमी सचमुच सोया हुआ है । 10. जो परिंद पिंजरे में कैद हो और छुटकारा न चाहे तो नादानी है, जिन रूहों ने अपने को आज़ाद करने की ख़्वाहिश की उनकी परवरिश, तरबियत और तालीम के लिए तमाम रसूल पैग़म्बर अवतार ध्यान दिए रहते हैं और उनके लिए निहायत शफ़कत से परवरिश करने वाले मुर्शिद बन
जाते हैं । वो बुज़ुर्ग रूहें बताती रहती हैं कि इस ज़मीन के तंग पिंजरे से हम इसी फ़कीरी राह पर चल कर, इसे अपना कर और रात दिन इसे ही ओढ़ बिछा कर छूटे हैं। इसके अलावा मज़हबपरसती का कोई रास्ता आदमी को इस कैद से बाहर नहीं निकाल सकता। काबिले मुबारकबाद है वो शख़्स जो इस ज़ाहिरी वजूद से बाहर निकल गया और किसी आसमानी ज़िंदगी
रखने वाले कामिल से जुड़कर खुद ज़िंदा हो गया ।

2. इस ज़मीन पर आदमी की सूरत में शैतानी चेहरे भी मौजूद हैं इसलिए ख़बरदार होशियार रहना कि हर हाथ में हाथ नहीं पकड़ाना चाहिए, ऐसा गिरोह इस ज़मीन पर शिकारी की तरह है जो परिंदों को फंसाने के लिए उन्हीं के जैसी आवाज़ निकालता है और परिंदा जाल में फंस कर ज़हरीले डंक का शिकार होता है । भोले भाले लोग ऐसों की बातों में आ जाते हैं और उन्हें भी
पहुंचा हुआ फ़क़ीर समझकर उनके जादू और मिस्मेरिज्म का शिकार होते हैं।ये गिरोह अपने को शेर के घराने का समझाने के लिए लम्बी लाठी पर ऊन से बने हुए शेर की मूरत टांगता है और  झूठों का बाप होते हुए भी अपने को आसमानी नामों से जोड़ता है । इस बात को ध्यान में रखना कि आसमानी शराब पर ख़ालिस मुश्क की मोहर लगी रहती है और इस ज़मीन की शराब पीने वाला ऐसे ऐसे अज़ाबों का शिकार होता है कि उस अंजाम को देखकर दिल कांप उठता है और रूह की दुनिया से जुड़ा हुआ आसमानी शराब की मस्ती के साथ जीने वाला कस्तूरी की तरह महकता है।

14. अपनी आबरू का ख़्याल, अपनी इज़्ज़त बनाए रहने की फ़िक्र, दूसरों की निगाह में अपने को बेहतर बनाए रखने की तमन्ना के जंजाल में फंसे हुए क़दम, उस तरफ़ से लौट आने की तड़प को थपक कर सुला देते हैं।देखो तुम्हारे साथ आबरू बनाए रखने का ख़्याल सौ मन का लोहा है जिसके बोझ के नीचे तुम दबे रहते हो और ये बेड़ियां तुम्हें उस तरफ़ छलांग नहीं लगाने देतीं, जिस तरफ़ बढ़ने के बाद ग़ैब का रास्ता मिलता है। इसी दुनियावी हैसियत में अपने कुछ होने के ग़ुरूर और रूहानी रास्ते से इनकार की बद्ख़याली ने उस रास्ते को बंद कर दिया है ।

16. ये ज़ाहिरपरस्त ख़ुदबीं लोग जो अपने ग़ुरूर की वजह से खुद को धर्म और मज़हब का हिफाज़त करने वाला बताते हैं, खुद अपने अंदर के बेधरम नफ़्स को नहीं देखते। ये लोग जब किसी को गुनाह करते हुए देखते हैं तो इनके ज़ाहिरी मज़हब परस्ती के दोज़ख़ की आग इनके अंदर से ज़ाहिर होती है, इसलिए कि ये अपना ऐब नहीं देखते और जब कभी इन्हें आइना दिखाया जाए तो अपनी अस्ल सूरत देखते ही उस आइने पर अपना गुस्सा उतारने लगते हैं।इन राहों पर चलने वालों ने हमेशा तनाव में रखकर लोगों को मज़हबी पागलपन तक पहुंचाकर इस ज़मीन का सुकून गारत किया और तरह तरह का झगड़ा फ़साद पैदा किया। ए गाफ़िल मज़हब परस्त आदमी अगर तू मज़हबी किताबें पढकर वो बोली बोलने लगे तो ये न समझना कि तू भी उन्ही आसमानी लोगों में से है जिनकी बोलियाँ रटकर तूने बोलना सीख लिया है। 18. जिसको एक मुद्दत में दोस्त बनाओ ये ठीक नहीं कि उसको एक लम्हे में रंजीदा कर दो। दिल तब दुखता है जहां expectations जुड़े हों,जो दुनिया के हर रिश्ते में होता है, जिस पल हम पैदा होते हैं उसी पल रिश्तों और expectations का बोझ लाद दिया जाता है जिसे प्यार का नाम दे दिया जाता यहाँ तक कि ईश्वर को भी फ़रमाइशों और शिकायत के साथ याद करते,कभी उसका शुक्र नहीं अदा करते जो सब बिना मांगे मिला है।

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